लल्ली शीरू
तुम तो कहते थे! मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं फिर इतनी छोटी सी ख्वाइश पूरी नहीं कर सकते?विड़ियो काॅलिंग पर बात करते हुए
दोनों के चेहरे स्तब्ध थे! लल्ली ने फिर प्रश्न दोहराया !शीरू बगले झांकने लगा बालों को मसलता खींचता वो फिर ठिठक गया और बोला तुम ही बताओ कैसे आऊं?और इधर उधर झांकने लगा।
दीवार की ओट में सिमटी लल्ली ने छत की ओर देखते हुए कहा! देख लो आज शाम तक तुम नहीं आए तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी और फिर विड़ियो काॅल कट कर दिया।
शीरू कभी छत के ऊपर कभी नीचे कभी इस कमरे में तो कभी बाहर बाॅलकाॅनी में।
हिम्मत करके मुहं पर मास्क लगाकर चौक तक पहुंचता है पर वहां सिपाही को देखते ही ख़ोफ़जदा हो जाता है उसका उतरा चेहरा शाम तक लल्ली से पुनः सम्पर्क जोड़ने को लालायित रहता है।इधर लल्ली शीरू को सामने न पाकर तिलमिला उठी और उसने शीरू से भविष्य में कभी भी न मिलने की कसम ले ली।
वाह!लाॅकडाऊन में क्या क्या हो रहा है••
मनोज शर्मा