99. लला मैं तेरी खुशी के लिए
लला मैं तेरी खुशी के लिए,
मेरे हाथों में, जो होता अगर ।
तेरे नाम कर देता, पूरा शहर ।
लगता न तुझको,किसी से भी डर ।
रहता सदा तू, बिल्कुल निडर ।।
टपके ना आँसू ना दुःख कभी,
दूर ना होना तू मुझसे कभी ।
मेरा आशीर्वाद है तुझे मेरे लाल,
देंगे यहाँ तुझको सुख सभी ।।
सुख दुःख तो हैं सायों की तरह,
मौसम ये निराला यहाँ आता जाता ।
कभी बनके पतझड़ कभी बन के सावन,
हमसब को अपना ये खेल दिखाता ।।
सुनता है वो जिसने खेल रचाया,
दिल तो भी माँ का उसी ने बनाया ।
सदा याद रखना मेरे दिल की बात,
तुम ना चलना गलत कदमों के साथ ।।
खोना न धीरज याद रखना सदा,
मिलेगी खुशी,गम ना करना कभी ।
होगा वही जो यहाँ लिखा गया है,
मिटेगा नहीं वो मिटाने से भी ।।
मजबूर होकर भी बनता बुरा,
वो बनता बुरा जो बुरा में पला ।
जो करता भला उसका होता भला,
मेरी बात तुम याद रखना लला ।।
जीवन में तो आती बहुत परेशानी,
करना ना तुम कभी अपनी मनमानी ।
सजग जो रहोगे सफल तुम बनोगे,
तुम रचोगे इतिहास,तेरी बनेगी कहानी ।।
ना डरना किसी से ना लड़ना किसी से,
दिल की जो बातें हैं कहना तुम हमसे ।
मेरी ख़ुशी का ना कोई सवाल,
तुम्हारी ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी लाल ।।
लला मैं तेरी खुशी के लिए,
मेरे हाथों में, जो होता अगर ।
तेरे नाम कर देता, पूरा शहर ।
लगता न तुझको,किसी से भी डर ।
फिर रहता सदा तू, बिल्कुल निडर ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 13/02/2021
समय – 06 :08 (सुबह)
संपर्क – 9065388391