” *लम्हों में सिमटी जिंदगी* “”
“” लम्हों में सिमटी जिंदगी “”
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जाए
लम्हों में सिमटी,
ये जिंदगानी यहाँ पे !
और बैठे हम सागर किनारे….,
लगाते, गोते यादों के समुंदर में गहरे !! 1 !!
छाए
हैं चहुँओर हमारे
मन-व्योम पे काले, नभ्राट !
ढूंढ रहा हूँ, जिसे बहुत देर से….,
वो, ना जानें कहाँ छिप गए हैं नाथ !! 2 !!
भाए
ना कुछ हमें,
मन डूबा-डूबा सा बैचेन रहे !
किसे बतलाएं हम अपनी कहानी….,
बस, उनकी यादों में जीए चले जा रहे !! 3 !!
गए
इन्हें बरस बीते,
और हम उम्रदराज होते चले गए !
अब, जब कुल जोड़ जमा घटाके देखा तो….,
हाथ में हमारे सिर्फ़ लम्हें कुछ ही बचे रह गए !! 4 !!
पाए
जो भी हमने,
यहाँ प्रेम प्यार के अप्रतिम दो पल !
अब, चलें हैं लेकर इन्हें दिल में संजोए…..,
और बनी जिंदगी की ये धरोहर अनमोल!! 5 !!
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नभ्राट : काले सघन बादल
सुनीलानंद
रविवार,
12.05.2024
जयपुर
राजस्थान |