*लम्हे* ( 24 of 25)
लम्हे
चिड़िया से पंख लगाकर उड़ते
लम्हों को मैंने देखा है …
लेकिन कभी – कभी उनको भी
थक कर थमते मैने देखा है …
मेरी आँखों में टहल रहे हैं
अब भी बहुत पुराने लम्हे …
कभी – कभी गालों पर बहते
ओझल होते मैने देखा है …
सोच है ये अफसोस है ये
उनको रोक नहीं सकते पर …
कुछ लोगों को लम्हों संग ही
आते जाते मैंने देखा है …
– क्षमा ऊर्मिला