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5 Feb 2024 · 1 min read

*लम्हे* ( 24 of 25)

लम्हे

चिड़िया से पंख लगाकर उड़ते
लम्हों को मैंने देखा है …

लेकिन कभी – कभी उनको भी
थक कर थमते मैने देखा है …

मेरी आँखों में टहल रहे हैं
अब भी बहुत पुराने लम्हे …

कभी – कभी गालों पर बहते
ओझल होते मैने देखा है …

सोच है ये अफसोस है ये
उनको रोक नहीं सकते पर …

कुछ लोगों को लम्हों संग ही
आते जाते मैंने देखा है …

– क्षमा ऊर्मिला

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