Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2017 · 1 min read

लम्हें

लम्हे पल घड़ी

बहुत ढूंढा बहुत खोजा रूठे लम्हों को
जो रेत की तरह फिसले और बीत गए।

भला कैसे भुला दूं उन लम्हों की बातों को,
ज़िन्दगी जब खुद ही परत दर परत खुली है जाती।

बहुत टटोला महीनों को और बीते सालों को,
लम्हों के क़तरे निकाले निचोड़कर तेरी यादें।

कितने ही लम्हे,हसीं पल और सुखद घड़ियां
फ़र्श पर उड़ेल डाले,अंतर्मन में जो भी थे संभाले।

लगा टकटकी हर एक लम्हें को सहेजा मैंने
बीते लम्हें हसीं भी थे और कुछ ग़मगीन भी थे।

कुछ धुंधले से हुए जाते हैं कुछ अधूरे से लगते
कुछ रंगी है इंद्रधनुष के रंगों से और कुछ स्वप्न लगते।

काश,उन लम्हों को भी जी लेती जो यूं ही बीत गए
खुद की नादानी में जिनको खोया है न जिया मैंने।

हां तुम ही मेरे सपनों के वो हसीं लम्हें हो
जिनको सिर्फ़ ख़्वाबों में जिया था मैंने।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
284 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वो कत्ल कर दिए,
वो कत्ल कर दिए,
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
बेहतर है गुमनाम रहूं,
बेहतर है गुमनाम रहूं,
Amit Pathak
मजबूरी तो नहीं
मजबूरी तो नहीं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
ये जाति और ये मजहब दुकान थोड़ी है।
ये जाति और ये मजहब दुकान थोड़ी है।
सत्य कुमार प्रेमी
"*पिता*"
Radhakishan R. Mundhra
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
* दिल बहुत उदास है *
* दिल बहुत उदास है *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
क्युं बताने से हर्ज़ करते हो
क्युं बताने से हर्ज़ करते हो
Shweta Soni
23/40.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/40.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मां का दर रहे सब चूम
मां का दर रहे सब चूम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जो जिस चीज़ को तरसा है,
जो जिस चीज़ को तरसा है,
Pramila sultan
ज़मीर
ज़मीर
Shyam Sundar Subramanian
दिखावा
दिखावा
Swami Ganganiya
कहां गए बचपन के वो दिन
कहां गए बचपन के वो दिन
Yogendra Chaturwedi
मुझे ना छेड़ अभी गर्दिशे -ज़माने तू
मुझे ना छेड़ अभी गर्दिशे -ज़माने तू
shabina. Naaz
"वक्त के पाँव में"
Dr. Kishan tandon kranti
*लोकमैथिली_हाइकु*
*लोकमैथिली_हाइकु*
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
सर्द ऋतु का हो रहा है आगमन।
सर्द ऋतु का हो रहा है आगमन।
surenderpal vaidya
सोना जेवर बनता है, तप जाने के बाद।
सोना जेवर बनता है, तप जाने के बाद।
आर.एस. 'प्रीतम'
*लक्ष्मीबाई वीरता, साहस का था नाम(कुंडलिया)*
*लक्ष्मीबाई वीरता, साहस का था नाम(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पूर्व दिशा से सूरज रोज निकलते हो
पूर्व दिशा से सूरज रोज निकलते हो
Dr Archana Gupta
धर्म खतरे में है.. का अर्थ
धर्म खतरे में है.. का अर्थ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
Manju Singh
कूड़े के ढेर में भी
कूड़े के ढेर में भी
Dr fauzia Naseem shad
मुसाफिर हो तुम भी
मुसाफिर हो तुम भी
Satish Srijan
अधखिली यह कली
अधखिली यह कली
gurudeenverma198
बात तनिक ह हउवा जादा
बात तनिक ह हउवा जादा
Sarfaraz Ahmed Aasee
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
मैं आँखों से जो कह दूं,
मैं आँखों से जो कह दूं,
Swara Kumari arya
Loading...