लम्हें यादों के…..
भीगी कलियाँ, भीगी पलकें, सीली सीली सर्द हवा
प्यासी रूह हुई भाव विभोर ज्यों दिलों का सरगम हुआ II
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अंतर्मन के तार बजे भोर की महकी फिजाओं में
धुली गर्त सदियों से जमी मधुबन सा खिल अंग-अंग हुआ II
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ज्यों नाचे मयूरी मन पुलकित शबनम सी प्यारी बूँदें
माटी की सौंधी खुशबूप्यारी बरखा का मन तरंग हुआ II
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कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”