II लम्हा II
लम्हा लम्हा याद तुम्हारी,
जर्रा जर्रा महके है l
हर पल ही अब मधुर मिलन है,
प्यासा तन मन चहके है l
इंतजार की बात नहीं अब,
कोई नाज ना नखरे हैं l
मदमस्त पवन के झोंकों सा ,
मन लम्हा-लम्हा बहके है l
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l