लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल, लब हिलते ही जान जाते थे, जो हाल-ए-दिल, बेफ़िक्र, अब चीखों को भी सन्नाटा कह देते हैं । @ नील पदम्