Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Apr 2023 · 1 min read

लब-ए-साहिल हमारी आस में आँखें टिकाए है

लब-ए-साहिल हमारी आस में आँखें टिकाए है
समंदर भी हमारी याद में आँसू बहाए है

जुदाई में भले ही मैं न रोया एक भी आँसू
ग़म-ए-फ़ुर्क़त मुझे भी है मेरा ये दिल बताए है

ज़माना सोचता है आसमाँ से गिर रही बिजली
मुझे मालूम है ख़ातिर मेरे वो तिलमिलाए है

अकेले बेंच पे बैठा हुआ देखा मुझे जब से
बगीचा ठीक उस पल से बड़ा सा मुँह बनाए है

मेरा दिल रेलवे स्टेशन पे थमती ट्रेन जैसा है
जिसे ये ज़िंदगी अपना हरा झंडा दिखाए है

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

Language: Hindi
230 Views

You may also like these posts

जीवा रै तारण सारु,
जीवा रै तारण सारु,
लक्की सिंह चौहान
ईश्वर की आँखों में
ईश्वर की आँखों में
Dr. Kishan tandon kranti
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
Atul "Krishn"
जा चला जा दिसंबर....
जा चला जा दिसंबर....
Jyoti Roshni
**जाते-जाते वो हम से वफ़ा कर गए**
**जाते-जाते वो हम से वफ़ा कर गए**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
युग अन्त
युग अन्त
Ravi Shukla
खुला आसमान
खुला आसमान
Meenakshi Bhatnagar
- मेरी मोहब्बत तुम्हारा इंतिहान हो गई -
- मेरी मोहब्बत तुम्हारा इंतिहान हो गई -
bharat gehlot
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चिंतन
चिंतन
Rambali Mishra
बुरे फँसे टिकट माँगकर (हास्य-व्यंग्य)
बुरे फँसे टिकट माँगकर (हास्य-व्यंग्य)
Ravi Prakash
गुलमोहर
गुलमोहर
डॉ.स्नेहलता
वह एक हीं फूल है
वह एक हीं फूल है
Shweta Soni
आपकी बुद्धिमत्ता प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे बड़ा इनाम है।
आपकी बुद्धिमत्ता प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे बड़ा इनाम है।
Rj Anand Prajapati
वसंत पंचमी का महत्व
वसंत पंचमी का महत्व
Sudhir srivastava
3939.💐 *पूर्णिका* 💐
3939.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,
इन समंदर का तसव्वुर भी क्या ख़ूब होता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
जितने चंचल है कान्हा
जितने चंचल है कान्हा
Harminder Kaur
गुलामी के पदचिन्ह
गुलामी के पदचिन्ह
मनोज कर्ण
दान किसे
दान किसे
Sanjay ' शून्य'
ख़्वाबों की दुनिया
ख़्वाबों की दुनिया
Dr fauzia Naseem shad
अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
पूर्वार्थ
..
..
*प्रणय*
रोला छंद
रोला छंद
sushil sarna
कितना खाली खालीपन है !
कितना खाली खालीपन है !
Saraswati Bajpai
हज़ारों चाहने वाले निभाए एक मिल जाए
हज़ारों चाहने वाले निभाए एक मिल जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
बरबादी के साल हवे ई
बरबादी के साल हवे ई
आकाश महेशपुरी
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दोस्ती का मर्म (कविता)
दोस्ती का मर्म (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
Loading...