लफ्ज
वो कांटों से ज्यादा
चुभते है
वो काँच से ज्यादा
नुकीले है
जो
ज़हर में डूबे हुए होते है
इंसान को
जीते जी
मार ही देते है
है
वो होते है
मुँह से निकले हुए खराब
लफ़्ज़
वो कांटों से ज्यादा
चुभते है
वो काँच से ज्यादा
नुकीले है
जो
ज़हर में डूबे हुए होते है
इंसान को
जीते जी
मार ही देते है
है
वो होते है
मुँह से निकले हुए खराब
लफ़्ज़