लत
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/e9182f7fb3dcad263fd89bf4b9ce0c42_c68e4ee0f0763b80104fddf87c8435a2_600.jpg)
होती है लत प्यार की शराब सी
चढ़ जाए एक बार वो दिल पर अगर
तो दिल नहीं मानता फिर उसे छोड़ने का
और छोड़ भी जाए अगर वो हमें
जीवन जीना मुश्किल हो जाता है हमारे लिए
पीकर शराब हमें होश नहीं रहता अपना भी
नहीं ले पाते हम कभी सही गलत का फैसला
मोहोब्बत भी नशा है उसी प्रकार का
हो जाए वो अगर अपने देश से
दिल में रहती हमेशा देशप्रेम की भावना
हो जाए वो अगर महबूब-ए-सनम से
तो को जाते है हम अपने आप में
नहीं देख पाते हमारे जीवन के अहम पहलू भी
नशा होता है शराब और शबाब में
कुछ अच्छा तो कुछ बुरा होता है जहां में