लता की श्राद्धजलि
अश्क वहा रहे अम्बर
धरती सुषकी देती ।।।।।।।।१
पर्वतराज खडे सिर को
अपनी झपकी देती है ।।।।।।।२
सूरज तेज किये धीमे
चन्दा में शीतलता कम ।।।।।।।३
जहान टिका उनके आगे
गीतो में है उनके दम। ।।।।।।४
आज नही है बीच हमारे
उनकी स्मृति आती है ।।।।।।।।५
इस भारत की कोकिला को
मेरी हदय श्रद्धांजलि जाती है। ।।।।।।।।६