Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2022 · 1 min read

लता की श्राद्धजलि

अश्क वहा रहे अम्बर
धरती सुषकी देती ।।।।।।।।१
पर्वतराज खडे सिर को
अपनी झपकी देती है ।।।।।।।२
सूरज तेज किये धीमे
चन्दा में शीतलता कम ।।।।।।।३
जहान टिका उनके आगे
गीतो में है उनके दम। ।।।।।।४
आज नही है बीच हमारे
उनकी स्मृति आती है ।।।।।।।।५
इस भारत की कोकिला को
मेरी हदय श्रद्धांजलि जाती है। ।।।।।।।।६

Language: Hindi
2 Likes · 215 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Pollution & Mental Health
Pollution & Mental Health
Tushar Jagawat
भरोसा सब पर कीजिए
भरोसा सब पर कीजिए
Ranjeet kumar patre
आचार्य पंडित राम चन्द्र शुक्ल
आचार्य पंडित राम चन्द्र शुक्ल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वेदना
वेदना
AJAY AMITABH SUMAN
चलो♥️
चलो♥️
Srishty Bansal
होठों की हँसी देख ली,
होठों की हँसी देख ली,
TAMANNA BILASPURI
चुनावी युद्ध
चुनावी युद्ध
Anil chobisa
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
gurudeenverma198
मां कूष्मांडा
मां कूष्मांडा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
ग़ज़ल _ मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ।
ग़ज़ल _ मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ।
Neelofar Khan
मजदूर
मजदूर
Dinesh Kumar Gangwar
कविता
कविता
Shiva Awasthi
स्वागत बा श्री मान
स्वागत बा श्री मान
आकाश महेशपुरी
सच का सिपाही
सच का सिपाही
Sanjay ' शून्य'
जला दो दीपक कर दो रौशनी
जला दो दीपक कर दो रौशनी
Sandeep Kumar
व्यंग्य आपको सिखलाएगा
व्यंग्य आपको सिखलाएगा
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
Santosh Shrivastava
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
तुम्हें पता है तुझमें मुझमें क्या फर्क है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
6. शहर पुराना
6. शहर पुराना
Rajeev Dutta
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
कवि दीपक बवेजा
झूठी है यह सम्पदा,
झूठी है यह सम्पदा,
sushil sarna
आज कल के दौर के लोग किसी एक इंसान , परिवार या  रिश्ते को इतन
आज कल के दौर के लोग किसी एक इंसान , परिवार या रिश्ते को इतन
पूर्वार्थ
" कलम "
Dr. Kishan tandon kranti
3080.*पूर्णिका*
3080.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
काव्य की आत्मा और अलंकार +रमेशराज
काव्य की आत्मा और अलंकार +रमेशराज
कवि रमेशराज
*नहीं हाथ में भाग्य मनुज के, किंतु कर्म-अधिकार है (गीत)*
*नहीं हाथ में भाग्य मनुज के, किंतु कर्म-अधिकार है (गीत)*
Ravi Prakash
🙅आप का हक़🙅
🙅आप का हक़🙅
*प्रणय*
*जलते हुए विचार* ( 16 of 25 )
*जलते हुए विचार* ( 16 of 25 )
Kshma Urmila
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Loading...