लड़को की ज़िंदगी
कभी जो मखमली खाट को भी ना पसंद करता था
आज जमीन पर भी बिना शर्त सो जाता हूं
कभी हर दिन निकाला करता था कमी खाने में
आज अपने हाथ की जली रोटी बिना शर्त खाता हूं
अब अलार्म से ही जागता हूं कोई जगाने नही आता है
खुद से ही सब काम करता हूं कोई बताने नहीं आता है
घर पे सब कहते थे समय को क्यों फालतू बिता रहे हों
छोड़ दिया जब घर कुछ करने को तो सब पूछते हैं कब आ रहे हों
जिंदगी के दौड़ में अभी शामिल तो नहीं है
इसी उम्र सब कर लेगा इस काबिल तो नहीं है
सब ने कहा सफलता पाना है तो कुछ भी कर सब सही है
जो लड़का हंसाया करता था अब उसकी हंसी क्यों दिखती नहीं है
#कौशल किशोर पाण्डेय (नादान)??