लड़किया
ठंड के प्रकोप से ये हाथ कपकपा रहे हो
फिर भी प्रातः ठंड को कपाती है ये लड़कियां ।
संगनी का पात्र हो या मातृता का भाव हो
पूर्ण प्रेम अपना दिखाती है ये लड़कियां ।
पुरुष ही प्राथमिक बिंदु पर खड़ा हुआ है
निम्न को भी उच्चतम बनाती है ये लड़कियां ।
वासना के जाल में फंसे हुए जो हीन है
उनसे भी खुद को बचाती है ये लड़कियां ।
पुरुष तो प्रेम में अहंकार घोलता है
प्रेम में समर्पण मिलाती है ये लड़कियां ।
युद्ध भूमि सैन्य शक्ति कौशल का क्षेत्र हो
खुद को सशक्त बनाती है ये लड़किया ।
लेखक- दुर्गेश तिवारी✍️✍️✍️