लटकती लटें
**** लटकती लटें ****
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माथे पर लटकती लटें
जुल्फों की लहराती लटें
काली बदली हो नभ में
बूँदों को झटकती लटें
यौवन से जब टकराती
छाती पर सरकती लटें
नागिन सी हैं बलखाती
जियरे को हैं डसती लटें
हलचल सी मचाती रहे
सीने पर रेंगती लटें
चाँद सितारों सी सुन्दर
तम में है चमकती लटें
सुखविंद्र से सटती रहें
बेइंतहा मचलती लटें
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)