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2 Dec 2023 · 3 min read

#लघु_व्यंग्य

#लघु_व्यंग्य
■ “पोखर सरकार” की “सटीक भविष्यवाणी।”
★ कहां लगता है कोई एक्जिट-पोल
【प्रणय प्रभात】
“सरकार बनाने का न्यौता कांग्रेस को मिलेगा। भाजपा को भी मिल सकता है। मुख्यमंत्री कमल वाले भैया का बनना तय है। वैसे राजयोग अपने कांग्रेस वाले नेताजी का भी बन रहा है। कमल वाले भैया सीएम नहीं बने तो पैराशूट वाले राजा बाबू बनाए जा सकते हैं। हो सकता है दिल्ली से भेजे गए तीन में से कोई एक बन जाए। वैसे उम्मीद माई की कृपा से भाई के बनने की भी पूरी-पूरी है। हो सकता है कमल वाले भैया जी दिल्ली बुला लिए जाएं। फिर भी इतना तय है कि सरकार कांग्रेस की बनेगी। जितना मैं देख पा रहा हूँ, उस हिसाब से। आख़िर में ख़ास बात यह, कि सरकार पंजे वाले बनाएंगे तब भी सत्ता कमल वालों के पास जाएगी। जैसे पौने चार साल पहले गई थी।”
ना…ना…ना…!! अच्छे-खासे “दिमाग़ का दही” मतलब “भेजा-फ्राई” करने वाले उक्त “बोल-वचन” मेरे जैसे अदने इंसान के नहीं। कथित “दिव्य-दृष्टि” रखने वाले एक आंचलिक “त्रिकालदर्शी महाराज” के हैं। जो खुद एक सरकार हैं। बड़प्पन इतना कि ज्ञान समंदर जित्ता और नाम “पोखर सरकार।” स्वघोषित सर्वज्ञ, सार्वभौमिक और सर्वशक्तिमान। जिनके “रूहानी सर्वे” को चुनौती देना पनौती मोल लेना है।
महाराज उर्फ़ सरकार ने “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की तर्ज़ पर एक राज्य में दोनों मुख्य दलों की सरकार बनने का दावा कर दिया। इतना ही नहीं, दोनों दलों के आधा दर्ज़न सूरमाओं के सीएम बनने की प्रबल संभावना भी जता दी।
ज्ञानी पुरुष हैं। भली-भांति जानते हैं कि किसी एक की चेतनी ही है। क्यों न सबसे बना कर रखी जाए। ख़ास कर उस सूबे में, जहां जनता द्वारा खदेड़े जाने वालों को “जनार्दन” बनाने की परिपाटी चल पड़ी है।
“जलेबीनुमा” या “कुरकुरे-टाइप” भविष्यवाणी से आप क्या समझे, आप जानें। मैं परम-अज्ञानी तो कुछ नहीं समझ पाया। जब सवाल पूछने वाला चैनल का “अक़्लबंद” एंकर ही नहीं समझ सका, तो मुझ “मतिमन्द” की क्या बिसात…? जो ज़ुबान खोलूं और शामत बुलाऊँ।
महाराज की “दिव्य-दृष्टि” के तमाम किस्से सुन-सुन के पहले से “अघोषित शरणागत” हूँ। किस मुंह से पूछने की धृष्टता करूं कि-“हे प्रज्ञाचक्षु! आपकी वाह्य-दृष्टि पर सियासी काला पानी कब छा गया?” हिम्मत होती तो पूछता कि “हे महामना! आपके कपाल में राजनीति के नज़ले का अवतरण कब और कैसे हुआ?”
अब आप ही सोचिए, कि जो सवाल उठाने की ज़ुर्रत मेरे जैसे सिरफिरे की नहीं, उन्हें उठाने की हिमाक़त कौन और क्या खा कर करेगा? इसलिए, भलाई इसी में है कि “सरकार की भविष्यवाणी” को “सरकारी आकाशवाणी” की तरह पुष्ट मानो। वो भी बिना कोई चूं-चपड़ किए। भरोसा रखो कि महाराज जी ने जो “महा-राज” परोसा है, वो सौ नहीं सवा सौ फीसदी सत्य ही होगा। क्योंकि सरकार बनाने की संभावना रखने वाले दल दो ही हैं। रहा सवाल ताजपोशी का, तो सारे दावेदारों का राजयोग महाराज एक-एक कर प्रबल बता ही चुके हैं।
चैनल के एंकर और मेरे जैसे थिंक-टैंकर ने तो पहले ही मुंडी झुका कर “पाहि-माम, त्राहि-माम” बोल ही दिया है। बिना जीभ हिलाए, सच्चे मन से। केवल इतना मान कर कि सरकार बनाने के लिए न कोई तीसरा दल चौथी दुनिया से आना है। न सीएम बनने वाला “सातवां घोड़ा” सूबे के लिए “सूरज के रथ” से खोल कर भेजा जाना है। जो होना है वो बाबा जी मतलब महाराज जी छाती ठोक कर बता ही चुके हैं। वो भी दिन-दहाड़े, चौड़े-धाड़े में। यानि “खुल्लम-खुल्ला, सरे-आम।” तो बोलो जय जय श्रीराम। ताकि हो सके अच्छे कल का इंतज़ाम। मतलब “तुम्हारी भी जय-जय, हमारी भी जय-जय।।”
#Note-
दुनिया इधर से उधर हो जाए। चुनावी नतीज़ा वही रहेगा, जो “पोखर सरकार” ने पेला और बन्दे ने झेला है।।

■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

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