लघु कहानी -नतीजा
लघु कहानी -नतीजा
एक आठ साल की बच्ची पलक के पापा ने ज़लती प्रेस लगा कपड़े को इस्तरी करने लगे ,तभी मोबाईल की घंटी वज़ी | नंबर देखा बात करने लगे, ज़लती प्रेस का ख्याल दिमाग से निकल गया | बात बोस से हो रही थी लम्बी हो गई |पलक जो पास ही खेल रही थी ,धीरे से आकर शरारत से बाल-सुलभ छेडख़ानी करने लगी ।करंट लगा , भयभीत हुई और निढाल चीख से खेल-खेल में बिजली करंट में कुछ पता नहीं चला। सोचकर देखिए, क्या वो पिता अपने आपको कभी माफ कर पाएगा जिसने ज़लती प्रेस आदतन छोटे बच्चों के घर में प्यारी सी बेटी छीन ली। प्रेस पर जब-जब निगाह जायेगी दिल के किसी न किसी कोने में अपनी बेटी के लिए हूक जरूर उठेगी।
बच्चों के प्रति लापरवाही की यह अकेली घटना नहीं है। ऐसे वाकये आए दिन सुनने और पढऩे को मिलते रहते हैं। हम और आप ही में से किसी की छोटी सी गलती या तो पलक जैसे मासूम की जान ले लेती है या फिर उसे जिंदगी भर का दर्द दे जाती है। काश! पलक ना प्रेस छुती इतनी भयानक घटना ना होती । अगर उसे पता होता तो वह शायद छूती भी नहीं।
रेखा मोहन १४/४/२०१७