#लघुकविता-
#लघुकविता-
■ वीर शिवा सब देख रहे।।
【प्रणय प्रभात】
“आधे आधों को कोस रहे,
तो आधे माफ़ी मांग रहे।
अपशब्दों के बम फोड़ रहे,”
मर्यादा खूंटी टांग रहे।।
मंशा है मात्र छलावे की,
मंसूबा बस उकसावे का।
ये भी झूठे वो भी झूठे,
दम निकल रहा हर दावे का।।
सब रखें याद ऐसे हर पल,
इतिहास बने अभिलेख रहे,
तुम देखो देखो मत देखो,
पर वीर शिवा सब देख रहे।।
😊😢😊😢😊😢😊😢😊
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)