#लघुकथा-
#लघुकथा-
■ आपदा में अवसर।।
【प्रणय प्रभात】
माणिक दास बड़े व्याकुल और चिंतित थे। व्यग्रता की वजह थी, दो लग्ज़री गाड़ियां। बेशक़ीमती गाड़ियां कुछ ही दिन पहले शो-रूम से उठा कर लाई गई थीं। इससे पहले कि उनकी सवारी का लुत्फ़ ढंग से लिया जाता, पहले चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई। अब संकट मंहगी और आलीशान गाड़ियों के अधिग्रहण को लेकर था।
भुक्तभोगी माणिक दास जी को वाहनों के अधिग्रहण के बाद वापस लौटने वाले वाहनों की हालत का पूरा-पूरा इल्म था। विडम्बना यह थी कि चुनावी आपदा-काल में सर्व-शक्तिमान प्रशासन की ओर से मोहलत मिलनी नहीं थी। नेताओं की ओर से मदद मिलने के भी कोई आसार नहीं थे। नई-नकोर गाड़ियों का दबंग नौकरशाही की अस्थाई संपत्ति बनना तय था। वाहनों के मनमाने व बेरहम उपयोग से ज़्यादा चिंता उनकी तयशुदा दुर्गति की आशंकाओं को लेकर थी। बीती दो रातें करवट बदलते कट चुकी थीं। परिवार के बाक़ी सदस्य भी उदास और हताश थे।
तीसरी रात आपदा की घड़ियों में चिन्तन के बूते अवसर की तलाश पूरी हो गई। अगली सुबह माणिक दास ने आनन-फानन में नित्य-क्रियाओं से फ़ारिग होकर कचहरी का रुख किया। जहां शाम तक सारे कागज़-पतरे तैयार हो गए। अगले दिन वे अपने दो बेटों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना पर्चा दाखिल कर दिया। मंशा चुनाव लड़ने की नहीं अपनी गाड़ियों को अफ़सरों के पंजे से बचाने भर की थी। जिनके उपयोग की अनुमति उन्हें अपने पक्ष में मिलने का रास्ता खुल चुका था।
कथित प्रचार-प्रसार के नाम पर। वो भी महज 5 हज़ार रुपए में। जो अधिग्रहण के बाद सुधार और मरम्मत के नाम पर लगने वाली एकाध लाख की चपत और गाड़ियों के नुकसान की तुलना में कुछ भी नहीं थी। एक उम्मीदवार के तौर पर 40 लाख की रक़म को टैक्स-फ्री बनाने का मौका अलग से मिलना तय था। चुनावी व्यय के नाम पर। फिर चाहे वो काली हो या सफेद। अब माणिक दास जी आपदा में अवसर वाले कलियुग के सिद्ध मंत्र के प्रति कृतज्ञ नज़र आ रहे थे।
आप भी चाहें तो माणिक दास जी के प्रति कृतज्ञ हो सकते हैं। एक शानदार फार्मूला सुझाने के लिए। अगर पास में शानदार गाड़ी और नम्बर-दो का माल हो तो। याद नहीं, तो भी निराशा की क्या बात है। यही काम आप एक डमी-प्रत्याशी के तौर पर भी कर सकते हैं। बड़े और शातिर उम्मीदवारों के पक्ष में। लाख-दो लाख कमाने और फ़ोकट में पहचान बनाने के लिए। यक़ीन मानिए, चुनाव आपदा नहीं उत्सव लगने लगेगा।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)