लघुकथा
लघुकथाः नया कश्मीर
“अम्मी सब कह रहे हैं अब कश्मीर बदल गया है…..नया कश्मीर बन रहा है…..ये नया कश्मीर कैसा होगा माँ?”…
आठ साल के सलीम ने,रूकैया के दामन को खींचते हुए पूछा।रूकैया जो अपने छोटे से शिकारे को बड़े चाव से सजा रही थी,उसने फूलों की टोकरी एक तरफ रखी और सलीम के सर पर हाथ फेरती हुई बोली,”बच्चे !नया कश्मीर वो होगा,जब तुम जैसे बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं, किताबे होगीं…नौजवानों के हाथ में बंदूके नहीं, कालेज की डिग्रियां होंगी।सीने पर गोलियों की जगह मैडल होंगे… डल झील पर शिकारे तैरेंगे…घाटी में बारूद की जगह केसर की महक होगी..लाल चौक पर तिरंगा होगा…”हमें चाहिए आज़ादी”… के “शोर” की जगह..जय हिंद होगा…जय हिंद होगा।”यह सुनकर नन्हें सलीम की आँखों में चमक उभर आयी,उसने दोनो हाथ दुआ में उठा दिये,”आमीन….”रूकैया मुस्कुराई,..”सुम्मआमीन।”
मीनाक्षी ठाकुर,मिलन विहार
मुरादाबाद ????????