लघुकथा
लॉकडाउन [ लघुकथा ]
लॉकडाउन में सब बंद है| रामलाल तुम गाड़ी में कहाँ घूम के आए हो?
घुमना तो क्या भाई श्यामलाल एक रिश्तेदारी में जा कर आए हैं|
टेलिविजन के समाचारों में तो बाहर निकलने वालों को पुलिस मुर्गा बना-बना कर पीट रही थी| तुम्हें नहीं रोका-टोका?
अरे यार पुलिस तो पैदल, रिक्शा चालक, साईकिल चालक व मजदूरों को मुर्गा बना-बना कर पीट रही थी| हम तो मंहगी गाड़ी में थे| किसी की रोकने की हिम्मत ही नहीं हुई|
-विनोद सिल्ला©