लघुकथा
जनहित
ज्यों ही नगर परिषद के चुनाव संपन्न हुआ। विधायक महोदय ने चुनाव जीते हुए, सभी पार्षदों से संपर्क किया। कुछ पार्षदों ने स्वयं विधायक से संपर्क किया।
विधायक ने साम-दाम-दंड-भेद अपनाया। उसके बाद आधे से अधिक पार्षदों को साथ लेकर विधायक भारत भ्रमण को निकल पड़ा।
भारत भ्रमण के बाद, अपने शहर में आते ही विधायक ने अपनी पसंद के पार्षदों को नगर परिषद का अध्यक्ष व उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। जनहित होटलों के महंगे किराए, महंगी गाड़ियों के पैट्रोल, शराब, कबाब व शबबा के मोटे बिलों के नीचे दबकर रह गया।
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– विनोद सिल्ला