#लघुकथा / #हिचकी
#लघुकथा
■ गुर्दा-फाड़ हिचकी
【प्रणय प्रभात】
देवलोक में चैन की बंसी बजा रहे सूबे के तमाम दिवंगत महापुरुष इन दिनों बेहद परेशान हैं। परेशानी की वजह है ताबड़तोड़ गुर्दा-फाड़ व फेंफड़ा-फाड़ हिचकी। जो बारी-बारी से किसी न किसी की आंतें फाड़े दे रही है।
आए दिन कोई न कोई इस आपदा की चपेट में आ रहा है। मग्गा भर-भर पानी पीने और कानों में उंगली ठूंसने का टोटका भी फेल है। सारे बेचारे इस सोच में हैं कि अभी उन्हें इत्ता याद कौन कौन मुए कर रहे हैं। जबकि हाल-फ़िलहाल कोई बड़ा चुनाव भी नहीं है उनके अपने स्टेट में। उन सभी के मुंह से बेतहाशा गालियां निकल रही हैं अपने दल के उन दोगलों के लिए, जो हर भाषण में उनके नाम और काम की दुहाइयाँ दे रहे हैं।
वही दोगले जो जीते जी उन्हें बेनागा ब्लैकमेल करने का मौक़ा तलाशते थे। अब उनकी मिसाल दूसरे सूबों में जा-जा कर दे रहे हैं। मंशा शायद उनको यहां भी चैन से नहीं रहने देने की है कमबख्तों की। मतलब मरने के बाद भी बदला लेने की कोशिश। वाह री सियासत। जीते जी फ़ज़ीहत और मरने के बाद क़सीदे??
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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