( लघुकथा ) मुआवजा
(लघुकथा) मुआवजा
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कल एक तूफान आया था…जमकर आँधी चली थी साथ मे ओलावृष्टि का भी कहर था…
खेतों मे खड़ी फसलें बिछ गईं थी ….
गरीबों की झोपड़ी के छप्पर न जाने कहाँ खो गये थे..
किसानों के बुझे हुये चेहरे सारी मेहनत पर पानी फिर जाने का अफसोस मना रहे थे.
गरीबों की उजडी हुई बस्ती आसमान की तरफ मुंह कर अपनी किस्मत को कोसे जा रही थी…
उधर एक सरकारी दफ्तर के कुछ कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ रही थी….
सभी आपस मे बातें करने मे मशगूल थे कि काफी खर्चे हो चुके हैं, बजट बिगड़ा हुआ है, कड़की चल रही है, इत्यादि..
लेकिन अब सभी प्रसन्न हैं ऊपर वाले ने आखिर सुन जो ली है….
तूफा़न से हुई तबाही के लिये सरकार ने मुआवजे की घोषणा भी कर दी है
अब सभी को प्रतीक्षा है मुआवजा मिलने की..
गीतेश दुबे