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24 Nov 2016 · 1 min read

लग गई किसकी नजर…..

अतुकांत रचना
*******

” परत चढ रही है,
अवसाद की,
प्यार पर,

पङ गयी किसकी नज़र,
जो था गवाह मेरी
अठखेलियोँ का,
खो गया कहाँ वो शहर,

रुठी क्योँ है जिन्दगी
किसलिए चुपचाप है,
क्या पता कब तक चलेगा
ये उदासी का पहर..

कब छिङेगी रागिनी प्यार की
फिर से,
फिर से मिलेगी जिन्दगी ..
कौन जाने कब थमेगा
मेरी मायूसियोँ का सफर.,.

मैँ करुँ या ना करुँ
इन्तज़ार,,
मेरी खुशियाँ पूरी होने का..
मेरी दुनिया पूरी होने का..
नहीँ खबर..
पर आस बांध के रखी है
तेरे प्यार पर.. ”
(अंकिता)

Language: Hindi
3 Likes · 517 Views
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