लगे मुझको जुदाई में बरस सावन हुआ होगा
बरस बीते गले मिलकर, नहीं रोया, नहीं बोला
लगे मुझको जुदाई में बरस सावन हुआ होगा
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लोग कुछ हैं पालते नफरत यही बस सोचकर
प्यार क्यूँ बेइंतहा मुझसे करे है ये जहां
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लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’ (भोपाल)
बरस बीते गले मिलकर, नहीं रोया, नहीं बोला
लगे मुझको जुदाई में बरस सावन हुआ होगा
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लोग कुछ हैं पालते नफरत यही बस सोचकर
प्यार क्यूँ बेइंतहा मुझसे करे है ये जहां
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लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’ (भोपाल)