लगे चेहरा मुझे तेरा कसम से ईद का चंदा।
तेरे जैसा ज़माने में मुझे लगता नहीं कोई।
हसीं तुमसे धरा पर और तो दिखता नहीं कोई।।
लता-सी अंगड़ाई चाल हिरनी-सी तेरी जानाँ।
लबों में फूल-सी नरमी शहद बातें तेरी जानाँ।
घटा ज़ुल्फ़ें नज़र हाला तुम्हारी रूह है गंगा।
हुआ चँचल हुआ घायल अदब से चाह मन बंदा।।
कमल नैना ग़ज़ल आदत क़िताबों-सा तेरा जीवन।
तेरी हर साँस चंदन-सी है सरिता-सा तेरा यौवन।
हँसी है धूप तेरी सुन फ़िदा मुस्क़ान पर बंदा।
हुआ चँचल हुआ घायल अदब से चाह मन बंदा।।
गुलाबीपन कपोलों में नवाबीपन अदाओं में।
तुम्हारे नूर की चादर बिछी जैसे फ़िज़ाओं में।
फ़ना तुमपर ज़िग़र दिल इश्क़ मेरा है हुआ चंगा।
हुआ चँचल हुआ घायल अदब से चाह मन बंदा।।
आर. एस. ‘प्रीतम’