लगे चिमाने काग अब,
लगे चिमाने काग अब, सुन कोयल के गीत ।
भारी है ऋतुराज की, सब ऋतुओं पर जीत ।।
सब ऋतुओ पर जीत, प्रीत की तान निराली ।
रँग फागुनिया डाल, डाल बोले मतवाली ।।
कह दीपक कविराय, गूँजते मधुर तराने ।
कोयल का है राज, काग अब लगे चिमाने ।।
लगे चिमाने काग अब, सुन कोयल के गीत ।
भारी है ऋतुराज की, सब ऋतुओं पर जीत ।।
सब ऋतुओ पर जीत, प्रीत की तान निराली ।
रँग फागुनिया डाल, डाल बोले मतवाली ।।
कह दीपक कविराय, गूँजते मधुर तराने ।
कोयल का है राज, काग अब लगे चिमाने ।।