लगी हैं बंदिशें…
लगी हैं बंदिशें हम पर न हँसना है न रोना है
हमारे हाथ में टूटे हुए दिल का खिलौना है
हथेली की लकीरों से लड़ो दिल खोलकर लेकिन
हकीकत तो यही है के वही होगा जो होना है
महज दो रोटियाँ रक्खी हैं उसने शाम की खातिर
पसीने की तिजोरी में न चाँदी है न सोना है
इधर हैं आम के पौधे उधर काँटे बबूलों के
तुम्हीं सोचो के तुमको इस जमीं पर किसको बोना है
ये खोने और पाने का गजब है सिलसिला जब की
हकीकत है फकत इतनी न पाना है न खोना है
तुम्हारे पास मक्कारी की उजली सेज है तो क्या
हमारे पास भी ईमान का मैला बिछौना है