लगी हैं।
उन्वान- जब से खामोशियां मुस्कुराने लगी हैं।
जिंदगी भी मधुर गीत गाने लगी हैं।
जब से खामोशियां मुस्कुराने लगी हैं।
हुई शांत तृष्णा जो धधकती थी दिल में
बिलखती ज़िन्दगी खिलखिलाने लगी हैं।
हृदय की धरा जो बंजर भूमि थी
वो अंकुर प्रेम के उपजाने लगी हैं।
थी जिंदगी कभी जो अमा सा अंधेरी
वो शरद पूनो सी,चमचमाने लगी हैं।
जो दुश्मन थीं दुनिया कभी आशिकी की
खुद ही प्रीति के गीत अब वो गाने लगी हैं।
न मायूस हो नीलम खुशियां मनाले
अब तो खुशियां तुझे रास आने लगी हैं।
नीलम शर्मा