लगा बरसने है सावन _____ गीत
महकी महकी मिट्टी महकी ,बह रही हवा मतवाली है।
चहक रहे हैं पंछी सारे, बरखा नहलाने वाली है।
मिट रही है सब की तपन ,लगा बरसने है सावन।।
देख घटाएं अंबर ऊपर, हृदय का जगमग दीप जला।
कागज की थी नाव तो मेरी ,संग में छाता लेके चला।
लगे बरसने काले मेघा नाव मेरी भी बहने लगी।
उधर जाएगी किधर जाएगी, टोली बच्चों की कहने लगी।।
भीग रहे थे सब के बदन, एक नहीं सब के आंगन।।
मिट रही है सब की तपन, लगा बरसने है सावन।।
धरती मां का आंचल भीगा, कितनी सुंदर लग रही है।
नदियां जल भर अपने भीतर, इधर-उधर थी भग रही है।।
कल कल बहते झरने ,हिंडोलों का भी शोर है।
कोयल कूके डाली डाली ,धरा पे नांचे मोर है।।
सभी की अपनी लगन,हो रहे देखो पावन पावन।।
मिट रही है सब की तपन, लगा बरसने है सावन।।
राजेश व्यास अनुनय