लगा डालूं फेक्ट्री गीत गज़लों की
लगा डालूं फेक्ट्री गीत ग़ज़लो की श्रीमान
जहाँ ख़्वाब बेचे जाते हो खोलूँ ऐसी दुकाँ
जहाँ धरती से झुक कर मिलने आया करें
वो घमण्डी अभिमानी ऊँचा नीला आसमाँ
जहाँ बेरंग तस्वीर आती हो रंग जाने को
जहां इंद्रधनुषी जिंदगी बनती हो आसान
जहां मरकर पता चले की ख़ुदा मिलता है
ऐसा नहीं होगा कोई झूठ का भी नामोनिशां
जहां ज़मीर हो जिन्दा दिलों में अपने यारों
एक मुठ्ठी में हो अपना प्यारा यह हिंदूस्तां
जिस जगह हो इज्जत हो वही तो ठहरेंगे
आदमियत जिसमे बाकी वही होगा इन्सां
खुशियो से लबरेज ये जन्नत कहा मिलेगा तुझे
तू कवि है अशोक नहीं कही का कोई भगवान
अशोक सपड़ा की कलम से