लगाव
माना बदलाव जरूरी है।
परिवर्तन स्वभाविक है।
पर हमारे लगाव का क्या ?
जो होगा आप से उस अलगाव का क्या ?
क्या खोया, कैसे गिनवा पाएंगे ?
हीरे से अनमोल रत्नों के, प्रेम से वंचित रह जाएंगे।
अब कौन हेलमेट न पहनने पर, हमें सबक सिखाएगा ?
घर के मुख्य द्वार पर खड़े रहकर, कौन फूलों सा मुस्काएगा।
भारत का मान बढ़ना है; बच्चों को भी भारतीय होने पर गर्व करना सिखलाना है।
अब कौन बच्चों से पहले,बड़ों को भी आभार व्यक्त करना
सिखलाएगा ?
एक- दो परिवार वालों की सेहत जरा सी ख़राब हो जाने पर कौन योग कक्षाएं लगवाएगा।
अब कौन हमारी अच्छी बातें पढ़कर हमें प्रेरित करने आएगा।
अब कौन इन कच्ची मिट्टी के मटकों को, हल्के हाथों की थाप देकर सुदृढ़,सक्षम और कमाऊ बनाएगा।
जितना घर के बड़ेजनों ने हमें सिखलाया है।
अब कौन हमें सिखलाएगा ?
जब घर में आपके कमरे से बाहर से आते – जाते याद आओगे आप…………..
तो कौन हमें अब दिलासा देकर समझाएगा।
आभार सहित
रजनी कपूर