लगाव
तन से तन का न हो लगाव
जरुरी मन से मन का लगाव
मन में पाले आप ऐसे ख्याव
जैसा कृष्ण सुदामा लगाव
प्रेम से सिक्त हो मन इतना
जैसे कवि की कोई कल्पना
भावों का उजियारा हो ऐसे
मन को छूता हो यारा जैसे
मानव का मानव से लगाव
जैसे उद्वेगों का हो सैलाब
प्रेम पल्लवित हो नित प्रति
ऐसा फले फूले रोज लगाव