लगाव का चिराग बुझता नहीं
लगाव का चिराग बुझता नहीं
नेह का तेल बिखरता नहीं
ममता की लौ हमेशा बढ़ती रहती
बस वो हर किसी को दिखती नहीं ।
जग में छोटा सा प्यारा शब्द है मां
उस शब्द पर जरा गौर फरमाना,
स्नेह को उसका दिल से महसूस करना
अहसास को ह्रदय से समझना।
स्मृतियां आज भी सहज कर रखी है,
बातें आज भी कानों में गूंजती है,
और सोचती है बताने से क्या।
– सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान