लगाकर तू दिल किसी से
लगाकर तू दिल किसी से, मुसीबत मोल मत लेना।
इश्क करके किसी से तू , कैद किसी में मत होना।।
लगाकर तू दिल किसी से————————–।।
जिसे समझा है तूने हुर्र, फ़क़त वह ख्वाब है तेरा।
वह साथी है कुछ पल का, नहीं हमदर्द वह तेरा।।
संजोकर ख्वाब हुर्रों के, तू वक़्त बर्बाद मत करना।
अपनी मंजिल और पथ में, तू नश्तर इनके मत बोना।।
लगाकर तू दिल किसी से————————–।।
शौक-ए-मौज रख दिल में, खेल तू इनकी जुल्फों से।
गुलाम किसी का मत हो तू , चूसकर रस फूलों से।।
बनाकर किसी को हमदर्द, दर्दे-दिल पैदा मत करना।
बहाकर आँसू अनमोल तू , खुद बुझदिल मत होना।।
लगाकर तू दिल किसी से———————–।।
इन्हें मतलब है दौलत से, वफ़ा नहीं ये किसी से।
इन्हें है भूख महलों की, नहीं मतलब मोहब्बत से।।
तू इन नापाक हुर्रों को, कभी लहूदान मत करना।
इनसे बर्बाद और बदनाम, कभी भी तू मत होना।।
लगाकर तू दिल किसी से———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)