लगन की पतोहू / MUSAFIR BAITHA
लगन की पतोहू जब पेट से थी तो उसे वैधव्य का दंश झेलना पड़ गया। मेरा हमउम्र व पड़ोसी बिकाऊ साह जब अपने बेटे की अभी की उम्र में ही था तभी उसकी अकाल मृत्यु हो गई थी। उसका सोलहसाला नाबालिग बेटा अभी अपनी विधवा माँ का एकमात्र सहारा है।
गाँव के चौर में बाढ़ का पानी उद्दाम-उफनते वेग से बह रहा था, उसी में बिकाऊ नहाने गया था। शायद, काल ही उसे खींचकर ले गया था वहां। तभी तो कंधे भर पानी में ही बलवती भंवर बीच फंसकर डूब मरा था वह। कोई उसे डूबते देखता और बचा पाता, उसके पहले ही दम घुट गया था उसका।
अपने माँ-बाप की वह इकलौती संतान था। इसलिए, बड़े नाजों से उसे उन्होंने पाला था। कितने ही टोनों-टोटकों और मन्नतों के बाद वह इतनी भी जीवन यात्रा कर पाया था।
‘बिकाऊ’ जैसा उपेक्षात्मक नाम उसके माता-पिता ने उसे किन्हीं डायन-दुष्टात्मा की बुरी नजरों से बचाने के लिए ही जानबूझकर रख दिया था। पर उसे शायद, इस दुनिया से अकाल-प्रयाण करना था, सो काल का बुलावा जल्द ही आ गया था।
पन्द्रह वर्ष की किशोरावस्था में ही बिकाऊ की शादी हो गयी थी और शादी के महज छह माह बाद ही वह लगभग बिना कोई दाम्पत्य सुख लिए पत्नी और दुनिया को छोड़ गया था। ससुराल सरहद पार नेपाल में थी, वही कथित मिथिला नरेश जनक की राजधानी रही जनकपुर।
जनकपुरवाली, जो कि अभी भी कोई 28-29 साला सुगठित देहयष्टि वाली यौवना है, को उसकी अभी की महक-चहक की उम्र में ही बीतयौवना-सा जीवन गुजारने को अभिशप्त होना पड़ रहा है, जबकि मेरी शादी हुए अभी साल भर भी नहीं बीता है। पत्नी के संग गुजरे अपने अबतक के मीठे-महकते पलों की बिना पर अब मैं बेशक, महसूस कर सकता हूँ कि 15 साल के उगते-उमगते यौवनांकुर दिनों से अबतक के भरे-पूरे यौवन-समय को बिन संगी, बिन मंजिल वह किस कसमकश से किस विधि नाप रही होगी। यह भी कि अपने इस अमोल समय को कौड़ी के मोल खर्चने की अनिवार विवशता के बट्टा-नुकसान का द्रावक हिसाब बैठाने में उसे किस अकथ-असह्य मुश्किलों का सामना सामना करना पड़ता होगा-यह खुद उस हत्भागी (?) बेवा के सिवा भला कौन बता सकता है?
अब टटका दाम्पत्य देह-सुख पा रहा मैं समझ सकता हूँ कि वह लुक-छिप कर खिड़की या कि दरवाजे के पल्लों की ओट से मुझे जब-तब देखने-निहारने का उपक्रम क्यों करती है!
यह भी कि अपनी समवयस्क, मेरी पत्नी को अपने सर्वोत्तम समय में पूरी सजधज व नाज-नखरों के साथ मुझ संग हँसते-बतियाते देख उसपर क्या कुछ गुजरता होगा?