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31 Jul 2020 · 1 min read

लगता है..

लगता है अब कायनात में ,
पहले जैसी बात नहीं ।

मानव के अपने दिल में भी ,
पहले से जज्बात नहीं ।।

यूँ तो सूरज चाँद सितारे ,
खूब चमकते रहते हैं ।

जैंसे होते थे वैसे अब ,
मनभावन दिन रात नहीं ।।

सावन भादों के बादल ,
भी कितनी झड़ी लगाते थे ।

अब तो सूखे मौसम रहते ,
बूंदों की बरसात नहीं ।।

हरियाली की चादर धरती ,
ओढ़ सजीली लगती थी ।

रंग बिरंगे फूल फलों की ,
देती अब सौगात नहीं ।।

उजड़े जंगल सूखे तरुवर ,
धूल उड़ रही मधुवन में ।

पंछी नीड़ बनाते जिनसे ,
हरे भरे वो पात नहीं ।।

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 220 Views
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