लक्ष्य
चलता रहे
जीवन निर्बाध
कोशिश यही
करनी है
आते रहते हैं
उतार-चढ़ाव
नहीं घबराना है
आते कितने
उतार-चढ़ाव
गृहस्थी में
पालन पोषण
करते हैं
बच्चों का
आती कितनी
चुनौतियां
जीवन में
माता पिता के
हार नहीं
मानते हैं
होते जहाँ
पहाड़ मैदान
उतार-चढ़ाव
होते वहीं है
हैं यहीं
प्रेरक हमारे
चलते रहना है
मंजिल तक
रखो विश्वास
ईश पर
बढ़ते चलो
राह पर
उतार-चढ़ाव से
डरो न
मिलेगा लक्ष्य
जीवन में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल