लक्ष्य
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लक्ष्य
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मिल जाता है लक्ष्य भटकते हुए,
हारे वो सदा डर कर निकले नहीं।
जीवन के पथ नए सपने मिलेंगे,
हर चोटी पर दृश्य विहंगम दिखेंगे।
दिखे न अगर लक्ष्य भटकते हुए,
बदल डालो राह गुज़रते हुए ।
मेहनत के रंगों से सजती है राहें,
साहस की कुंजी से खुलती हैं द्वारें ।
वृक्ष टकरा के पर्वत से मुड़ जाता है,
जड़े छोर कहाँ वो उखड़ जाता है?
न हारो, न रुको निरंतर बढ़ो तुम,
सफलता की कुंजी सजाई मिलेगी।
*मुक्ता रश्मि