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14 May 2024 · 1 min read

लक्ष्य

लक्ष्य
———————————
मिल जाता है लक्ष्य भटकते हुए,
हारे वो सदा डर कर निकले नहीं।

जीवन के पथ नए सपने मिलेंगे,
हर चोटी पर दृश्य विहंगम दिखेंगे।

दिखे न अगर लक्ष्य भटकते हुए,
बदल डालो राह गुज़रते हुए ।

मेहनत के रंगों से सजती है राहें,
साहस की कुंजी से खुलती हैं द्वारें ।

वृक्ष टकरा के पर्वत से मुड़ जाता है,
जड़े छोर कहाँ वो उखड़ जाता है?

न हारो, न रुको निरंतर बढ़ो तुम,
सफलता की कुंजी सजाई मिलेगी।
*मुक्ता रश्मि

Language: Hindi
96 Views
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