Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2017 · 1 min read

लकीरों में

लकीरों में लिखी अपनी सजी तकदीर देखेंगे
बँधी पल्लू सदा तेरे तभी तासीर देखेंगे

सलामत जब बनेगी साथ तेरे जिन्दगी में तब
हिफाजत से चलेंगे और तब जागीर देखेगे

जरा सा झाँक जब अपने गलेबाँ देख लेगे तो
बसी भगवान की दिल में सदा तस्वीर देखेंगे

किसी भी बात पर गर रूठ जाओगे कभी हमसे
मनाने की उसी ही वक्त हम तदबीर देखेगे

गलत को हम सहन जब कर न पायेगें कभी भी तो
सही सी तब बताने के लिए हम तहरीर देखेंगे

74 Likes · 312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
3586.💐 *पूर्णिका* 💐
3586.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मेरे पास खिलौने के लिए पैसा नहीं है मैं वक्त देता हूं अपने ब
मेरे पास खिलौने के लिए पैसा नहीं है मैं वक्त देता हूं अपने ब
Ranjeet kumar patre
कागज़ ए जिंदगी
कागज़ ए जिंदगी
Neeraj Agarwal
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
Vaishaligoel
*योग-दिवस (बाल कविता)*
*योग-दिवस (बाल कविता)*
Ravi Prakash
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
कविता: मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
Rajesh Kumar Arjun
भोले
भोले
manjula chauhan
एक ख़्वाब सी रही
एक ख़्वाब सी रही
Dr fauzia Naseem shad
अहमियत 🌹🙏
अहमियत 🌹🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
लफ्ज़ भूल जाते हैं.....
लफ्ज़ भूल जाते हैं.....
हिमांशु Kulshrestha
कजरी (वर्षा-गीत)
कजरी (वर्षा-गीत)
Shekhar Chandra Mitra
इश्क़ के नाम पर धोखा मिला करता है यहां।
इश्क़ के नाम पर धोखा मिला करता है यहां।
Phool gufran
नशा
नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
■ आप आए, बहार आई ■
■ आप आए, बहार आई ■
*प्रणय*
मां
मां
Sanjay ' शून्य'
तुझ से ऐ जालिम
तुझ से ऐ जालिम
Chitra Bisht
*बस एक बार*
*बस एक बार*
Shashi kala vyas
वर्तमान के युवा और युवतियां महज शारीरिक आकर्षण का शिकार हो र
वर्तमान के युवा और युवतियां महज शारीरिक आकर्षण का शिकार हो र
Rj Anand Prajapati
दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में
दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दियो आहाँ ध्यान बढियाँ सं, जखन आहाँ लिखी रहल छी
दियो आहाँ ध्यान बढियाँ सं, जखन आहाँ लिखी रहल छी
DrLakshman Jha Parimal
आत्मघाती हमला
आत्मघाती हमला
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
टूटी ख्वाहिश को थोड़ी रफ्तार दो,
टूटी ख्वाहिश को थोड़ी रफ्तार दो,
Sunil Maheshwari
आज के समय में शादियों की बदलती स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
आज के समय में शादियों की बदलती स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
पूर्वार्थ
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
सर्दियों का मौसम - खुशगवार नहीं है
Atul "Krishn"
ना रहीम मानता हूँ ना राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ ना राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
" ढले न यह मुस्कान "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
खामोश अवशेष ....
खामोश अवशेष ....
sushil sarna
"वाकया"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
Bhupendra Rawat
कलेवा
कलेवा
Satish Srijan
Loading...