रोहित वेमुला
ठोकरें खा-खाकर
संभल क्यों नहीं लेते?
संगीन को बुटों तले
मसल क्यों नहीं देते?
जिस समाज में जीना
नामुमकिन लगता है
उस समाज को आख़िर
बदल क्यों नहीं देते?
Shekhar Chandra Mitra
ठोकरें खा-खाकर
संभल क्यों नहीं लेते?
संगीन को बुटों तले
मसल क्यों नहीं देते?
जिस समाज में जीना
नामुमकिन लगता है
उस समाज को आख़िर
बदल क्यों नहीं देते?
Shekhar Chandra Mitra