रोशन सारी हवालात हुई
*** रोशन सारी हवालात हुई****
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प्रियतम से थी आज बात हुई,
रुक रुक कर जैसे बरसात हुई।
झम – झम बरसा बदरा नभ से,
दिन के बाद काली सी रात हुई।
आई चाँद प्रभा बन। कर रौनक,
फिर से नई नवेली शुरुआत हुई।
झोली भर कर खजाने हो लूटती
हीरे मोतियों की भर सौगात हुई।
अंधेरों ने भुला दी राह मनसीरत,
रोशन भी सारी ही हवालात हुई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)