रोशनी सूरज की कम क्यूँ हो रही है।
रोशनी सूरज की कम क्यूँ हो रही है।
चाँदनी इतनी सितम क्यूँ हो रही है ।।
बेवफाई का चलन क्यूँ बढ़ गया है
आदमी की आँख नम क्यूँ हो रही है ।।
“कश्यप”
रोशनी सूरज की कम क्यूँ हो रही है।
चाँदनी इतनी सितम क्यूँ हो रही है ।।
बेवफाई का चलन क्यूँ बढ़ गया है
आदमी की आँख नम क्यूँ हो रही है ।।
“कश्यप”