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3 Dec 2021 · 1 min read

रोशनी की चाहत

रोशनी की चाह ने
मुझको दीवाना कर दिया।
दीप झिलमिल जल रहे
रोशन जमाना कर दिया।

1 मीत के मन में उतरकर
खूब देखा था मगर।
एक झोंके ने हवा के
सब बेगाना कर दिया।

2 कौन है हैवान या
इंसान जैसा कौन है।
बेरुखी और बुझदिली ने
बस बेगाना कर दिया।

3 दीप समता प्यार का
मित्रो जलाया था मगर,
दुश्मनी की आग ने
उसको बेगाना कर दिया।

4 मंजिलों की दूरियां
हरबार तय करते रहे,
स्वार्थ परता ने मगर,
उसको निशाना कर लिया।

प्रवीणा त्रिवेदी प्रज्ञा
नई दिल्ली 74

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 1 Comment · 391 Views
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