रोशनी की चाहत
रोशनी की चाह ने
मुझको दीवाना कर दिया।
दीप झिलमिल जल रहे
रोशन जमाना कर दिया।
1 मीत के मन में उतरकर
खूब देखा था मगर।
एक झोंके ने हवा के
सब बेगाना कर दिया।
2 कौन है हैवान या
इंसान जैसा कौन है।
बेरुखी और बुझदिली ने
बस बेगाना कर दिया।
3 दीप समता प्यार का
मित्रो जलाया था मगर,
दुश्मनी की आग ने
उसको बेगाना कर दिया।
4 मंजिलों की दूरियां
हरबार तय करते रहे,
स्वार्थ परता ने मगर,
उसको निशाना कर लिया।
प्रवीणा त्रिवेदी प्रज्ञा
नई दिल्ली 74