रोमांटिक दोहे
रोमांटिक दोहे
1-प्रीतम ऐसा हाल जी,नयन हुए जो चार।
उजड़े गुलशन लौट के,आई मौज़ बहार।
2-प्रीतम मिलना नैन का,बने ख़ुशी का सार।
सुखद हृदय की राह है,हुआ यार दीदार।।
3-प्रीतम मोती प्रेम के,हंस हृदय की चाह।
सागर सुंदर जगत् में,चुगते करना वाह।।
4-प्रीतम गगरी प्रेम की,लिए खड़ा में हाथ।
प्यास बुझे रे यार की,रहिए मेरे साथ।।
5-प्रीतम तेरी चाह में,हृदय हुआ है नेक।
करना स्वागत प्रेम से,फूल प्यार के फैंक।।
6-प्रीतम करना नाज़ तू,जला प्रेम का दीप।
रोशन जीवन यार हो,जैसे मोती-सीप।।
7-प्रीतम छूना प्रेम का,जीवन की मधु तान।
जैसे कोयल कूक हो,अमर प्रेम का गान।।
8-प्रीतम प्रेम गुलाब जल,नयनों में दो डाल।
देखूँ अपने यार को,रहूँ किसी भी हाल।।
9-प्रीतम हमतुम यूँ मिलें,मिलें चाँदनी-चाँद।
रोक सके ना जगत् ये,मिलते सबकुछ फाँद।।
10-प्रीतम तुम बिन क्या कहें,गले नहीं है दाल।
मेघ बिना जो मोर का,वही हुआ है हाल।।
आर.एस. “प्रीतम”