रोप दें एक ऐसा बीज
रोप दें एक ऐसा बीज,
जिससे फूटे एक अंकुर मानवता का।
देखते देखते लहलहा उठे पौधा ,
और बन जाए विशाल वट एकता का।
दूर तक बिखर जाएं शाखाएं इंसानियत की,
देखते देखते पुष्प ऐसे खिलें,
और बिखर जाए खुशबू महक उठे चमन भ्रातृ त्व का।
रोप दें एक ऐसा बीज,
जिससे फूटे एक अंकुर नैतिकता का,
देखते देखते लहलहा उठे पौधा,
और बन जाए विशाल वट भावनाओं का।
दूर तक जाएं शाखाएं अपनेपन की,
देखते देखते पुष्प ऐसे खिले,
और अहसास हो बिन बताए एक दूसरे के सुख दुःख का।
रोप दें एक एक ऐसा बीज,
जिससे फूटे एक अंकुर सदभाव का।
देखते देखते लहलहा उठे पौधा,
और बन जाए विशाल वट शुभकामनाओं का।
दूर तक बिखर जाएं शाखाएं आशीष वचनों की,
रेखा पुष्प ऐसे खिले जिनसे बिखर जाए खुशबू,
इतनी की नामो निशान मिट जाए नफरत का।