रोटी
“रोटी”
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रोटी कि क्या बात करें ?
रोटी तो रोटी होती है |
पतली-पतली गेहूँ की !
मक्के-बाजरे की मोटी है ||
कहीं सिकता !
तंदूर तड़पकर !!
कही तवे पर लोटी है ||
किसी के साथ दाल नहीं !
किसी के साथ बोटी है |
गोल-गोल है…..
कभी तिकोनी !
कभी बड़ी…..
कभी छोटी है ||
कोई भीगी पसीने में !
कोई कमाई खोटी है |
कहीं ओवन में फूल रही !
कहीं अंगारों में ओटी है ||
एक घर में !!!
कीमत नहीं ?
पिचके पेट में टोटी है !!
इस रोटी के रंग अनेक…..
रोटी तो आखिर रोटी है ||
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डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”
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