~रोटी~
जो भूखा हो उसे तुम ज्ञान देने मत चले जाना ।
जो भूखा है उसके हर बात में आयेगी बस रोटी।।
तपिश जो भूख की होती है क्या तुम जान पाओगे ।
कभी तुमने भी क्या दो दिन गुजारा है बिना रोटी।।
ये रोटी शब्द जितना छोटा है ।
हैं उसके मायने विस्तृत।।
किसी भूखे हुए बच्चे से पूछो,होती क्या रोटी ।।
किसी टूटी हुई सी झोपडी के पास से गुजरो।
वहां चर्चा का केवल एक विषय होती है बस रोटी ।।
ये रोटी कितनी महंगी है कभी देखा है सड़कों पर ।
जो कूड़े में तुम्हें बच्चे दिखेंगे बिनते बोतल ।
वहां भी एक ही कारण वो कारण है यही रोटी ।।
तड़प होती है ऐसी की बड़े हो जाते बचपन में ।
ये बचपन में बड़े हो जाने का कारण यही रोटी।।
कोई हो भूख से व्याकुल,तुम ऊंची बात करते हो ।
तुम्हारी बात में उसको सुनाई देगी बस रोटी ।।
अगर तुम मुख्य धारा में ले आना चाहते उसको ।
तो पहले चिंता को उसके मिटाओ, जो है सिर्फ कुछ रोटी।।
✍️ प्रियंक उपाध्याय