‘रोटी’
‘रोटी’
संपूर्ण दुनिया इस रोटी में समाई है,
रोटी ही माँ बाप और भाई है।
इंसान से लेकर जानवर तक में,
बस रोटी की ही लड़ाई है।
पेट सबका रोटी से ही पलता है,
जीवन दुनिया में रोटी से ही चलता है।
रोटी के लिए कौन क्या-क्या नहीं करता है,
रोटी के लिए इंसान अपनों से भी छल करता है।
रोटी के लिए बिक जाता धर्म-ईमान है,
रोटी के लिए ही आदमी बनता शैतान है।
रोटी रुलाती है हंसाती भी है रोटी,
रोटी में बसती सबकी जान है।
रोटी चाहे पतली हो या मोटी हो,
बड़ी हो या फिर कितनी छोटी हो।
हो ताजी, बासी या कच्ची पक्की हो,
थाली में सबके ही हर दिन रोटी हो ।